व्यवस्था और जनप्रतिनिधि
लघुकथा
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आज सुबह करीब 9 बजे बेटे हर्ष को लेने.
जिसने मैराथन दौड़ में हिस्सा लिया था.
हुड्डा ग्राउंड जाना हुआ,
वहीं पर एक चौक है,
चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा चौक.
उस चौक के ठीक साथ
मैराथन रेवाड़ी पैविलियन बना हुआ था.
डी.जे पर थिरकते युवा नहीं कहूंगा *लोग.
हरियाणवी गाना. कुछ ऐसा करके.
कौण कह बहु काले की
लात …साला ..करके.
अगर ये ही सब प्रचार, सभ्यता, संस्कृति
के माध्यम स्त्रोत हैं तो **लॉबिंग** का विरोधी हूँ.
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पिछले दस दिनों से प्रशासनिक कार्यालय जनसेवा
के कार्य स्थगित किये बैठे है.
मैंने 27दिसंबर को ऑनलाइन बिजली की फाइल
कनेक्शन के लिए दायर की थी.
जिसकी समय-सीमा एक सप्ताह कामकाजी दिनों की होती है.
मैं बिजली विभाग में लगभग सोमवार से चक्कर लगा रहा हूँ
कर्मचारी … माननीय मुख्यमंत्री जी के आगमन के आयोजन में व्यस्त. मेरा मीटर कनेक्शन रुक गया,
इन तथाकथित सेवकों को जनता मालिक/राजा न बनाये.
इन्हें स्वांग रचने के लिए नहीं ..काम करने के लिए प्रेरित करे.
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असुविधा के लिये खेद है.. मैं राष्ट्रवाद की भाषा नहीं जानता.
पर लोकतंत्र के सही मायने से वंचित जनता.