व्यर्थ न जाती ऊर्जा
व्यर्थ न जाती ऊर्जा
मैं और मेरा मौन
जीत गये
उनके भारी-भरकम
जले-कटे शब्द
गिरकर औंधे मुंह
हार गए
हो गई व्यर्थ
मेरे विरुद्ध लगाई
उनकी सारी ऊर्जा
वो गुनगुनाते
तो नहीं होती खर्च
अत्यधिक ऊर्जा
स्वयं भी पाते खुशी
बाकियों पर भी लुटाते खुशी
गाते गीत तो भी
नहीं होती खर्च
अत्यधिक ऊर्जा
गाकर गीत
माणते आनंद
बांटते आनंद
बोलते दो बोल प्यार के
बनता सदभाव
फैलती मोहब्बत
व्यर्थ न जाती ऊर्जा
-विनोद सिल्ला