व्यर्थ की उम्मीदें
पीड़ित व्याकुल मन के भीतर
क्यों ये दर्द भरे हो
रोगी तन-मन लिए पड़े हो
ये क्या हाल करे हो
दिल क्यों खंडहर बना रखा है
साफ करो ये भ्रम का जाल
व्यर्थ की न उम्मीदें पाल……
पीड़ित व्याकुल मन के भीतर
क्यों ये दर्द भरे हो
रोगी तन-मन लिए पड़े हो
ये क्या हाल करे हो
दिल क्यों खंडहर बना रखा है
साफ करो ये भ्रम का जाल
व्यर्थ की न उम्मीदें पाल……