व्यग्रता मित्र बनाने की जिस तरह निरंतर लोगों में होती है पर
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व्यग्रता मित्र बनाने की जिस तरह निरंतर लोगों में होती है पर वैसे शीघ्र वे कुछ लिखकर संवाद नहीं कर पाते और ना पत्र का जबाव ही देने की ज़हमत उठाते हैं ! ऐसे संवादविहीन लोगों को अकर्मण्य कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी !! @ परिमल