व्यक्तित्व और व्यवहार हमारी धरोहर
जीवन जीना एक कला या आर्ट है, जिसे हम अपने अनुसार जीने की चाहत रखते हैं। जिंदगी जन्म के साथ ही सिर्फ घटती है।
” जिंदगी दर-असल् उलझनों का नाम है, और उसे सुलझाना हमारा काम है।”
इंसान अपने जीवन में सबकुछ श्रेष्ठ चाहता है, और उसके लिए भरपूर प्रयास भी जीवन भर करता रहता है। हमें अपने में नहीं बल्कि जीवन ही बदल जाए ऐसा कुछ करना चाहिए जिसके लिए हमें अपने व्यक्तित्व और व्यवहार पर काम करना चाहिए।
जीवन में बुलंदी पर पहुंचना चाहते हो तो अपने अंदर झांको और सकारात्मक परिवर्तन करो।
क्योंकि यदि – सड़क पर कंकड़ ही कंकड़ हों तो एक अच्छा जूता पहनकर चला जा सकता है, मगर यदि जूते के अंदर एक भी कंकड़ हो तो कुछ कदम चलना भी मुस्किल हो जाता है।
इसलिए हमें वाहरी दुनिया की बजाय अपने आप को अंदर से बदलना है।
अपने आन्तरिक व्यक्तित्व और व्यवहार में निखार लाने का भरपूर प्रयास करना चाहिए।
यदि आप अपने व्यक्तित्व – व्यवहार में सरलता, सहजता, विनम्रता, निर्मलता, श्रेष्ठ भाव, विचार, नजरिया और सकारात्मकता के साथ स्नेहभाव व्यक्तित्व का विकास करने का प्रयास करते हैं। तो निसंदेह आपका व्यक्तित्व प्रसंशनीय एवं संवेदनशील युक्त होगा। आपका व्यवहार लोगों को आकर्षित करेगा। आप लोगों की नजरों में नेक इंसान कहलाएंगे। व्यक्ति अपने जीवन में मान – सम्मान और अपनेपन का आदि होता है।
कहते हैं कि नजर तो सबकी होती ही है, मगर बात नजरिया की होती है। आपका नजरिया इस कदर हो कि आपसे व्यक्ति स्वयं को सहज महसूस करें। आपके अन्तर्मन को पहचान सकें। इसलिए ही कहते हैं कि नजरिया कुछ खास लोगों का ही होता हैं। जब व्यक्तित्व – व्यवहार से जीवन में जब परिवर्तन और निखार आता है, तो संभवत् व्यक्ति संवेदनशील और विनम्रता के लक्षण दिखाई देना लाजमी है। जो एक श्रेष्ठ व्यक्तियों की पहचान है।
किसी ने खूब कहाँ हैं –
“गमों की आंच पर आंसू उबालकर देखों, बनेंगे रंग किसी पर डालकर देखों, तुम्हारें दिल की चुभन जरुर कम होगी, किसी के पांव का कांटा निकाल कर देखों”
व्यक्ति का व्यक्तित्व और व्यवहार उसे उस बुलंदी पर ले जाता है, जहां सिर्फ इंसानियत का अहम् दर्जा माना जाता है।
“जब पाने की चाहत ही ना होती तो बिछड़ने का गम भी क्यों होता ”
जब भी हम अपने व्यक्तित्व और व्यवहार के साथ किसी से रुबरू होते हैं, तो हमारा व्यक्तित्व और व्यवहार सामने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता हैं। फिर भी हमें अपने संस्कारों और अपने अन्तरात्मा से ऐसा अपनापन झलकना चाहिए। जिससे हम हर किसी का दिल जीत सकें। ऐसा व्यक्ति सदैव सबका प्रिय होता हैं। प्रत्येक व्यक्ति से रुबरू होते समय उसे लगे ही नहीं बल्कि ऐसा वास्तविक आपके व्यक्तित्व में होना भी लाजमी है, कि जैसे आप बाहर से दिखते हैं वैसे ही अंदर से होगें। आपका आचरण, सौम्य, सहज और विनम्रता से भरपूर होना चाहिए।
आपका अभिवादन मिलना और बातें करने का लहजा आपके संस्कार और आपकी शिक्षा का दर्शन हैं।
क्योंकि
“डिग्रियां तो महज शैक्षिक खर्चों की रसीद मात्र है, वास्तविक शिक्षा तो वह हैं जो आपके आचरण से झलकती हैं ।”
जब भी आपसे कोई भी व्यक्ति एक बार आपसे रूबरू हो तो उसे पून: आपसे मिलने की चाहत हो और उसके दिल में आपके प्रति सम्मान स्नेह पूर्ण आदर अपनापन नजर आए। व्यक्ति का ऐसा व्यक्तित्व और व्यवहार इंसान को आम से खास बना देता हैं।
धन्यवाद।।