व्यक्तिगत सोच
कभी-कभी हम किसी व्यक्ति विशेष के लिए एक धारणा बना लेते हैं जो गलत सिद्ध होती है। इसका मुख्य कारण हमारी सोच में उसके प्रति बिना किसी विश्लेषण के धारणा बना लेना होता है।
जो लोगों की उसके प्रति कही सुनी बातों से प्रभावित होती है ।हम अपनी प्रज्ञा शक्ति से गलत सही का पता लगाने की कोशिश नहीं करते हैं। दरअसल हम यह मान लेते हैं कि अधिकांश लोगों का कहना सत्य ही होगा। जिसमें भीड़ की मनोवृत्ति का समावेश होता है और व्यक्तिगत सोच का अभाव होता है ।
हमारे सामाजिक परिवेश में बहुत से ऐसे तत्व हैं जो किसी व्यक्ति विशेष के लिए गलत धारणा प्रसारित करने में लगे रहते हैं। यहां तक कि उसके चारित्रिक हनन के लिए नए-नए गुर खोजते रहते हैं ।
जिसका मुख्य कारण उनके व्यक्तिगत स्वार्थों की तुष्टि में वह व्यक्ति विशेष बाधक होता है।
अतः हमें किस प्रकार की दलगत सोच से बाहर निकल कर अपनी प्रज्ञा शक्ति का उपयोग कर उस व्यक्ति विशेष के गुण अवगुण का विश्लेषण कर उसके प्रति कोई धारणा बनाना होगा।
जिसमें किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह का समावेश ना हो।
दरअसल आजकल प्रसार माध्यम टीवी, इंटरनेट एवं मीडिया ऐसी गलत धारणा के प्रसार और प्रचार में संलग्न है। किसी भी अफवाह को यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, एवं व्हाट्सएप के माध्यम से कुछ ही मिनटों में फैलाया जा सकता है। और उस व्यक्ति विशेष के विरुद्ध ट्रोल करके उसके चारित्रिक हनन का प्रयास किया जा सकता है ।अतः हमें इन सभी से निरापद रहकर अपनी व्यक्तिगत सोच का विकास कर कोई निर्णय लेना होगा। अन्यथा हमारी प्रज्ञा शक्ति में व्यक्तिगत सोच का विकास नहीं होगा। और हम जनसाधारण की तरह भीड़ की मनोवृति का शिकार होकर अपनी व्यक्तिगत सोच गवां बैठेंगे।