व्यंग
राजनीति में आधा से ज्यादा नेता आदमखोर
चारा खा कर बन गया देखो अपना नेता ढोर।
पीछे लात मार कर आगे गले लगाए
अपने देश का नेता ऐसे देश चलाए।
फैली सब दूर लूटमार नहीं किसी की आस
कहांँ करें फरियाद जब खुद पुलिस बने बदमाश।
संस्कारों के देश में पड़ गई ऐसी खाई
सज्जन का कोई मोल नहीं गुंडे को कहे भाई।
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’
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