व्यंग बाण भोपाली लहजे में
अस्सलाम वालेकुम बन्ने मियां वालेकुम अस्सलाम आशिक मियां, क्या हाल है मियां, दिखी नई रिये हो आजकल, मियां वही हड्डी वही खाल है, तुम तो ठहरे सरकारी दामाद, यहां तो मियां जान तोड़ना पड़ती है, तब भी महंगाई के मारे खर्चे पूरे नई हो रिये हैं, ऊपर से इस करोना धंधे पानी की कमर तोड़ कर रख दी, बस चल रिया है, मालिक भूखा उठाता तो है भूखा सुलाता नई है मियां। मियां न्यूज़ देखी? संसद में क्या हो रिया है? मियां सियासत की बातें मत किया करो, खुदा कसम मुझे तो सियासतदारों से नफरत सी हो गई है, और तुम पूछ रिये हो संसद में क्या हो रिया है? मियां गालियां निकलती हैं, मियां हम तुम ही तो पहुंचा रिए हैं, कैसे कैसे पहुंच गए हैं, जो बगल में बैठाने लायक तक नई हैं, वे संसद विधानसभाओं में पहुंच रिये हैं, चोर उचक्के बेईमान अड़ी बाज सारे नंबर दो के काम वाले तो कुर्सियों पर वेठ रिए हैं, मियां संसद भी समाज का दर्पण है, जैसा समाज, वैसी संसद, कहीं ऊपर से तो टपक नहीं रिए, जैसी प्रजा, वैंसा तंत्र। मियां इलेक्शन होता है इलेक्शन, इलेक्शन में खर्चा भी होता है पैसा, पैसा है किसके पास कोई हम तुम में से थोड़ी पहुंच जाएगा। कसम से मियां एक आध बार मैं पहुंच गिया न तो सबको सही कर दूंगा, न खाऊंगा, न खाने दूंगा। नंबर २ तो सब बंद करा दूंगा। मियां अपन ने तो कोशिश नई की नई तो अपन भी पहुंच गिए होते, मियां ऐसे घटिया काम अपन को कतई पसंद भी नई आते, कहते कुछ हैं, करते कुछ है, मियां नेताओं की बातें, घोड़े की लाते, खैर छोड़ो मियां अपन को क्या करना है इन सियासत दारों से। तुम सुनाओ क्या चल रिया है, सुना है मोटे अनवर को परसों सपाटे ही सपाटे पड़े हैं, हां मियां बिना मास्क के मामू के आटो में घूम रिया था, पुलिस ने रोक लिया, केन लगा अपन तो मास्क बाक्स नई पहनते मियां। फिर क्या हुआ? अरे मियां होना क्या था, उनने बोला, फिर ₹500 का चालान कटबा लो,केन लगा, अरे मियां मैं 5 रुपए न दूं, मियां भोपाल है ये भोपाल, मियां जायकेदार पान खाते हैं, बार-बार पीक मारना पड़ती है, फिर कैंसे मास्क लगाएं मियां? ऐंठ गिया पुलिस बालों से। फिर क्या हुआ? अरे मियां होना क्या था, फिर आ गए चार छै ये झपाट झपाट लठ थे, आजकल प्लास्टिक के वो लफलफे डंडे चले हैं, मियां वो सपाटे कुदाए हैं, वो सपाटे कुदाए हैं,केन लगे भोपाल में केरोना फैल रिया है, तू बिना मास्क के घूम रिया है। मियां पिछवाड़ा फुलो दिया। फिर तो वो घर में ही पड़ा होगा, अरे नई मियां वो घर में रहने वालों में से नई है, अभी दिखा था, मास्क लगाकर घूम रिया है, मास्क हटाकर पान की पिचकारियां मारता फिरता है, मियां अभी तो ₹500 थूकने पर भी देना पड़ेंगे, नहीं तो फिर पिछवाड़ा सुजवा कर आ जाएगा। अच्छा मियां खुदा हाफिज, फिर मिलेंगे मियां खुदा हाफिज।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी