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4 Sep 2019 · 1 min read

व्यंग्य

लिखने को जब कुछ नहीं
लिखलो हास विलास
कहदो इससे श्रेष्ठ कुछ नही
अब और सृष्टि में खास
आड़े टेढ़े मुँह बिचका कर
पत्नी का परिहास उड़ाकर
अधिकांश कवि सम्मेलन सजाते
हास्य कला के नाम पर
क्या कहना क्या न कहना
सारी मर्यादा धूल चटाते
हँसना नहीं बुरा है भाई
मगर किसी की न करो बुराई
जो तेरी है बनी लुगाई
वो भी तो है किसी की माई।
उसको कितना सम्मान मिलेगा?
जब पति, पत्नी का अपमान करेगा।

Language: Hindi
416 Views
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