{ व्यंग्य }★☆अखिल भारतीय सर्वहारा कवि संगठन ☆
हमारे मुल्क महान में अदना चपरासी से लेकर नौकरशाह तक , मजदूर से लेकर उद्योगपति तक, छात्र से लेकर शिक्षाविद तक,
जाति – विरादरी से लेकर राजनीतिक दलों तक के अपने – अपने संगठन हैं । जरा – जरा सी बात पर “. …..यूनियन जिंदाबाद के नारे लगने लगते हैं । लेकिन अफसोस ! हमारे मुल्क महान में कबियों – लेखकों का कोई भी, किसी भी प्रकार का संगठन सदियों से आज तक नही बना है । इस निरीह , विवेकशील प्राणी का कोई भी चाहे जितना शोषण करे ,उफ तक करने वाले नही है । यहां तक कि इनके अपने ही विरादरीगण इनका शोषण करते हैं ।
नगर के किसी भी मुहल्ले में यदि कोई टुटपुजियां राजनेता टपकता है तो नगर के मुहाने पर ही उसके समर्थक कार्यकर्ताओं का जमावड़ा हो जाता है , जिंदाबाद के नारे लगने लगते हैं और उसको फूल- मालाओं से इतना लादने लगते हैं कि सभास्थल तक आते- आते
फूल- मालाओं का वजन उनके मूल वजन से दुगुना हो जाता है । उसके रूखसती पर एक मोटी रकम चन्दे के रूप में दी जाती है ।
लेकिन कवि सम्मेलनों के आयोजकों के बुलावे पर कोई कवि जब कवि- सम्मेलन स्थल पर थका- मांदा पहुंचता है तब उसके स्वागत की बात तो दूर , दो – चार श्रोताओं को छोड़कर आयोजकों का कोई अता- पता नही रहता है ।कवि – सम्मेलन की समाप्ति पर कवियों को अपने पारिश्रमिक के लिए आयोजकों को खोजना पड़ता है।
इस निरीह विवेकशील प्राणी के लिए मेरा मन हमेशा से आहत रहा है एक ” टू- इन – वन ” कवि – सम्मेलन एवं मुशायरे में घटना कुछ ऐसी घटी कि उसी क्षण मैंने लेखकों- कवियों- शायरों को संगठित करने हेतु एक मंच बनाने को उतावला हो गया । घटना कुछ इस प्रकार घटी थी –
एक परिस्थितिजन्य क्षीणकाय शरीर धारी कवि ने जैसे ही धीमी गति वाले समाचार उदघोषक के अंदाज में वीर रस की कविता पढ़ना शुरू किया , वेचारे के भाग्य ने कुछ ऐसा खिलवाड़ किया कि ध्वनि- विस्तारक यंत्र से आवाज आनी बंद हो गई ।जैसे- तैसे माइक वाले ने ध्वनि -विस्तारक यंत्र का वाल्यूम बढ़ाकर आवाज का संचार कर दिया । कवि महाशय के वीर रस के शब्दों ने जब श्रोताओं के कानों को उद्वेलित किया तो श्रोताओं में ओज का ऐसा जोश जगा कि उस जोश के वशीभूत श्रोताओं की ओर से शोर रूपी ध्वनि का धमाका होने लगा और जोश में श्रोताओं ने ऐसा आपा खोया कि क्षण भर में ही कवि-सम्मेलन मंच रण- थम्भौर बन गया ।मंच जूतों- चप्पलों- सैंडलों से पट गया।
बस इसी दृश्य का मेरे मानस पटल पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि वहाँ से लौटने के बाद इन निरीह विवेकशील प्राणियों का संगठन बनाने को उतावला हो गया और अगले ही दिन संगठन का प्रारूप तैयार कर डाला औऱ नामकरण भी कर डाला -” अखिल भारतीय सर्वहारा कवि संगठन ” ।
संगठन की नियमावली में जो प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये हैं वह इस प्रकार है –
देश के सभी कवि सम्मेलनों- मुशायरों के आयोजक , कवियों- शायरों के पारिश्रमिक धनराशि एक समान दें , साथ ही कवियों-
शायरों के संपूर्ण पारिश्रमिक धनराशि मय यात्रा- भत्ता के बतौर अग्रिम पहले ही भेजना होगा ।इससे कवियों- शायरों को यह फायदा होगा कि कवि सम्मेलन – मुशायरा के समाप्ति
पर कवियों – शायरों को पारिश्रमिक के लिए आयोजकों को खोजना नही पड़ेगा ।
कवियों- शायरों- लेखकों को कवि सम्मेलनों- मुशायरों – सेमिनारों में जाने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से निःशुल्क यात्रा करने की व्यवस्था करनी होगी ।इसके लिए वायुयानों , रेलगाड़ियों , रोडवेज की बसों में यात्रा करने के लिए स्थाई रूप से निःशुल्क यात्रा पास जारी करना होगा ।
देश में जितने भी समाचार- पत्र छपते है,
उसमें पूरे एक पृष्ठ में नियमित रूप से ऐसे सर्वहारा कवियों- शायरों की रचनाएँ छापी जाएं जो कवि सम्मेलनों- मुशायरों को उखाड़ने में महारत हासिल किए हैं ।
देश के सभी सर्वहारा कवियों- शायरों – लेखकों को सरकार की ओर से एक निश्चित राशि गुजारा भत्ता के रूप में देना अनिवार्य होगा। ताकि उनके परिवार का भरण- पोषण होता रहे और कवि- लेखक महाशय अपने दैनिक घरेलू खर्चों के झंझटों से निश्चिंत होकर दिन- रात अपनी रचना में ही डूबे रहें ।
जो सर्वहारा कवि-शायर दूसरों की रचना चुराकर कवि सम्मेलनों- मुशायरों में पढ़ते हैं , उनकी सुरक्षा व्यवस्था में सरकारी अंगरक्षकों की नियुक्ति की जाए ।
कवि सम्मेलनों- मुशायरों में जो भी श्रोता आएं वे या तो नंगे पैर आएं या नए जूते- चप्पल- सैंडल पहनकर आएं ।
प्रायः सभी कवियों , शायरों, लेखकों की प्रसिद्ध में नारी की विशेष भूमिका रही है , (अतीत के कालीदास , तुलसीदास साक्षी हैं ) उनके लेखन में निरंतर निखार लाने का श्रेय उनकी पत्नियों को है ।इस बात को दृष्टिकोण में रखते हुए जब भी किसी कवि- शायर- लेखक को सम्मानित किया जाए तो अंगवसत्रं के नाम पर शाल- कुर्ता पायजामा आदि न देकर उनको साड़ी से सम्मानित किया जाए । इसका दूरगामी प्रभाव यह होगा कि कविगण – लेखक गण जब अपने हाथ में साड़ी को लेकर घर पहुंचेंगे तो उनकी पत्नियां रात्रि भर खर्राटे मारकर सोने के बजाय रात्रि भर जागती रहेगी और अपने प्रियतम कवि- शायर- लेखक का बेसब्री से इंतजार करती रहेंगीं ।साथ ही हर पल, हर दिन, उन्हे लेखन के प्रति प्रेरित करती रहेंगी ।
“अखिल भारतीय सर्वहारा कवि संगठन ” की प्रबंध कार्यकारिणी समिति में समर्पित कवियों- शायरों – लेखकों की हार्दिक अभिलाषा है कि अखिल भारतीय सर्वहारा कवि संगठन के अध्यक्ष पद पर -हिंदी साहित्य जगत के अंतरार्ष्टरीय कवि पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी , महासचिव पद पर – प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एवं संरक्षक- पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बगैर उनकी अनुमति एवं सहमति के आजीवन आरक्षित कर दिया जाए ।