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1 Jun 2022 · 2 min read

व्यंग्य -चाय अमृत है

व्यंग्य
चाय नहीं अमृत है
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हैलो दोस्तों! चाय सिर्फ चाय नहीं आज के हालात में टानिक, अरे नहीं अमृत है। सुबह से रात तक हर व्यक्ति के लिए समय , सुविधा, सहूलियत, स्टेटस के हिसाब से चाय की महत्ता है।
किसी को बिस्तर में चाय चाहिए, तो किसी को बिस्तर के बाहर, तो किसी को शौच से पहले चाय न मिले तो बेचारे बुझे बुझे से ही रहते हैं। किसी को खाने से पहले तो किसी को बाद में, किसी को समय काटने के लिए। मेहमानों को चाय रुपी अमृत न मिले तो बेचारे मेजबानों की कोई इज्जत ही नहीं।
चाय अपना काम निकलवाने के लिए भी बड़े काम आती है। कुछ देर के लिए ही सही भूख को पीछे ढकेलने में भी चाय सफल हो ही जाती है। भोजन मिलने की गुंजाइश न हो तो भी चाय बड़ा तसल्ली देती है।
चाय की माया बड़ी उच्च कोटि की है। आज अपने देश में सर्वाधिक पेय पदार्थ चाय है।एक बड़ा वर्ग चाय के भरोसे अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करता है।देश की अर्थव्यवस्था में चाय का बड़ा योगदान है।यह अलग बात कि शराब को अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण का बड़ा कारक माना जाता है। पर शायद हमारे अर्थशास्त्रियों पर शराब का सूरुर कुछ ज्यादा चढ़ गया, वरना जिस चाय से उनकी सुबह से शाम होती है उसके साथ इतना अन्याय नहीं करते। लगता है शराब ने कुछ तंत्र मंत्र करा रखा है। ताकि चाय को उसके वास्तविक महत्व से वंचित रखा जा सके।
खैर चाय रुपी टानिक का उपयोग करते रहिए। शुगर ही नहीं और भी तमाम बीमारियों का शिकार होते रहिए। स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति के साथ चाय रुपी अमृत के विकास का मार्ग प्रशस्त करते रहिए।
अमृत रुपी चाय को पीते रहिए, रिश्ता मजबूत करते रहिए।
धन्यवाद

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८१११५२८५९२१
© मौलिक, स्वरचित

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 123 Views
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