व्यंग्यबाण
सूरज को जब बादलों ने ढका
भरे दरबार में राजा ने कहा
लगता है रात हो गई है
पास ही बैठे सभासद ने तपाक से कहा
हुजूर मुझे तो तारे भी नजर आ रहे हैं
तारे भी नजर आ रहे
सूरज को जब बादलों ने ढका
भरे दरबार में राजा ने कहा
लगता है रात हो गई है
पास ही बैठे सभासद ने तपाक से कहा
हुजूर मुझे तो तारे भी नजर आ रहे हैं
तारे भी नजर आ रहे