वो
एक मुकम्मल जहांन सा है , वो
सारी दुनियां से कुछ जुदा है ,वो
कितने दिल उसपे आज मरते हैं
जाने क्यूँ मुझ पे ही फ़िदा ,है वो
उसको इंकार करती जाऊ , मैं
कब से राहों में ही खड़ा है ,वो
मेरी हर बात जिसको ,भाती है
ऐसा अल्हड़ सा सिरफिरा है, वो।
हर घडी जिक्र मेरा करता है
यूँ ख़्यालो में गुमशुदा है , वो।
बड़ी पाकीज़ा सी मुहब्बत है
मेरे दिल में उतर रहा है, वो।