******वो******
नारी दिवस पर मेरी एक कविता…….पसंद आए तो लाइक और कमेंट जरूर करें |
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हर सांस हर घडी सबकी खुशियां चाहे वो,
हर पल हर दिन सबकी दुआ चाहे वो|
यही दुआ निकले हर पल उसके दिल से,
ना गुजरे कोई अपना किसी मुशि्कल से |
कभी खुद के देखे जो थे सपने,
औरों के सपने बन जाते है उसके अपने|
उनमें ही वो जीती है,उनमें ही वो मरती है|
खुद के लिए वो कुछ ना चाहे,
बस औरों के लिए हाथ फैलाए|
भर देती है सबका पेट,
खुद भूखे पेट मगर सो जाए|
हर तरफ हर पल खुशी बिखराती है वो,
अपने ऑसुओं को भी कोरों में सिमटाती है वो |
हर रिश्ते को दिल सेअपनाती है वो,
प्यार से प्यारा सा घरौंदा सजाती है वो | मॉ,बेटी,बहन पत्नी जाने कितने रूप बनाए,
खुद ईश्वर ही इन रूपों में हैं धरा पर आए |
जब जब अत्याचार होता है इन पर,
भगवान भी रो पडता है रूह तक |
ऐ मानव सोच जरा समझ कर तू अब काम ले,
नारी अबला नही सबला है ये तू जान ले |
गर इसका यूं ही तू अपमान करता जाएगा, जन्नत की तो छोड इस धरा पर भी तू टिक न पाएगा
समझ ले तू भी अब इसके वजूद को,
ना मार ठोकरें तू इस रूप अनूप को | पूजनीय है हर नारी, हर इक रूप में
चाहे वो सम्मान मिले उसे छोटे से ही रूप में |
नारी क्या चाहे तुमसे बस प्यार भरे दो बोल, करके अपमान तू इसके जीवन में ना विष घोल |
नारी को तुम प्रेम दो,स्नेह दो,सत्कार दो,
ममता की इस मूरत का ना तुम अपमान करो|
करे हाथ जोड कर ये इल्तजा ‘मीनाक्षी’
केवल आज नहीं हर रोज तुम उसका सम्मान करो |
डॉ मीनाक्षी कौशिक, रोहतक |(08/03/2017)