कौन होता है कवि
मरने के बाद भी जो नहीं मरता
वो होता है कवि
बुझने के बाद भी जो दीया रोशनी दे
वो होता है कवि
हवा की सरसराहट मंत्रमुग्ध कर दे जिसे
वो होता है कवि
खामोशी और सन्नाटा भी बोलता है जिससे
वो होता है कवि
देख पाता है जो बंद आंखों से
वो होता है कवि
समझ जाता है बस चंद बातों से
वो होता है कवि
दिखाता है भटके हुए को सही राह
वही होता है कवि
निकलती है जिसकी हर बात पर वाह
वही होता है कवि
महसूस करता है जो औरों की भावनाएं
वही होता है कवि
दिखती है जिसको कठिनाई में भी संभावनाएं
वही होता है कवि
चिंतन करता है जो हो दिन या रात
वो होता है कवि
कहता है हमेशा जो अपने दिल की बात
वो होता है कवि
जीते जी उसे कोई पहचानता नहीं
गुमनाम रहता है कवि
मरकर छा जाता है जो हर ज़ुबान पर
वो होता है कवि।