!!! वो ही वकत !!!
जिस पल
में तुम से मिला
था, मेरा मन
वो वक्त फिर लौट के ना आया
जिस पल
धडका था मेरा दिल
वो फिर लौट कर न आया
उस वक्त को
नमन कर लू
जिस वक्त था
रब से तुम से मुझ को
मिलवाया
कितनी शालीनता
कितनी शर्म थी
कितना मधुर था
वो गुजरा हुआ वकत
आज भी बैठा
तलाशता हूँ, मैं
वो बीत चूका वक्त
नहीं लौट के आएगा
न वो तुम को
वापिस
ला सकेगा, बस
अश्रू ही रहेंगे मेरी आँखों में
तुम को और तुम्हारे
गुजरे हुए वक्त
की इन्तेजार में,
बस ख़ामोशी ही है
और कुछ
नहीं मेरी इस
आगोश में..
मेरी इस आगोश में..
अजीत कुमार तलवार
मेरठ