वो हमें अंजान कहते हैं
जिसे हम अपनी जान कहते हैं,
वो हमें अनजान कहते हैं।।
कुछ इस कदर से दिल को समझाने लगे हैं,
हम रो के मुस्कुरा के मनाने लगे हैं।
सोचा था चल पड़ेंगे हम उसके साथ में,
वो बीच भंव में छोड़ कर के जाने लगे हैं।
आते थे पहले रोज़ वो हमारे मकां पे,
लगता है किसी और के घर जाने लगें है।
सहम जाते थे जो कभी हमारे दर्द से,
वो तड़पता हुआ देख कर मुस्काने लगे हैं।
खाई थी कसमें हमने जीने की साथ में,
अब साथ किसी और का निभाने लगें हैं।।
कुछ इस कदर से दिल को समझाने लगे हैं,
हम रो के मुस्कुरा के मनाने लगे हैं।।
© बदनाम बनारसी