“वो सब”
खींची गई जब तस्वीरें ,
पाक दामन नज़र आये थे,
“वो सब”।
बेठै थे हवस का खंजर लिए,
शराफ़त की महफ़िल में,
“वो सब”।
हाथ सने थे अस्मत के खुँ से,
ज़ेबों में हाथ रखकर लाये थे,
“वो सब”।
चेहरे पर मुस्कुराहट सजी थी,
आँखों में हैवानियत छिपाकर लाये थे,
“वो सब”।
आपको देखा तो है पर याद नही,
इल्जामों का ये असर की भुल गये,
“वो सब”।
क्या देगें सज़ा, क्या होगी सुनवाई,
अदालत उन्हीं की जहाँ पर बैठे है,
“वो सब”।
अब क्या बतायें”सरिता”हम तुम्हें,
गुनाह खुद सजा देगा कहते है,
“वो सब”।
#सरितासृजना