“वो लड़की”
स्कूल की छुट्टी के बाद से जब,
हम अपने घर को आते थे.,
कदम-कमद पर मेरे पाँव,
कही…ठहर से जाते थे.,
जब अपने सखियों के साथ वो,
मेरे तलक पहुँच जाती थी.,
मेरे ह्रदय की बेचैनी भी,
और ज़रा सी बड़ जाती थी.,
फिर…,
मैं नयन मिलाया करता था,
वो नयन चुराया करती थी.,
मैं आहट उसको देता था,
वो मुस्कुराया करती थी.,
वो अपने घर को पहली गली से,
जब सीधे से मुड़ जाती थी.,
मैं ताक लगाए देखा करता,
वो मुड़-मुड़ कर झाका करती थी.,
मैं रोज़ शाम को उसकी गली से,
जब ट्यूशन को जाया करता था.,
साइकिल की घण्टी सुनते ही,
वो छत पर आया करती थी.,
लाख मुहब्बत दिल मे छुपाए,
और ओंठो पर खामोशी थी.,
मुँह मे अपनी बात छुपाए,
आँखो से सब कह जाती थी.,
स्कूल की छुट्टी के बाद से जब,
हम अपने घर को आते थे.,
कदम-कदम पर मेरे पाँव,
कही..ठहर से जाते थे…..
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(((((((ज़ैद बलियावी)))))