वो लड़की रातरानी थी-किमल अग्रवाल की कविता
वो लड़की रातरानी थी= कोमल अग्रवाल की हिन्दी कविता
क्या वो झूठी कहानी थी मोहववत जो रूहानी थी
उसे ही खाक कर डालअ कभी जो ज़िंदगानी थी ।
क्या वो झूठी कहानी थी।।
वो पंछी डाल से छूटा उसी पर आसमान टूटा
फकत हैरान थी आँखें ये किसने आशियाँ लूटा
मगर निर्दोष आँखों की ये कैसी बेजूबानी थी
वो रोकर भी नही रोया की कीमत तो चुकानी थी ।
क्या वो झूठी कहानी थी ।।
उसे रिश्तों का लालच था घरौंदे की भी चाहत थी
मगर घर छोड़ कर जाना ही औरत की तो किस्मत थी
मिली जो पंक मे आखिर वही गंगा का पानी थी
बरस कर दे गई जीवन घटा वो आसमानी थी ।
क्या वो झूठी कहानी थी ।।
रही बाहर ही उपवन मे मिला न स्थान जीवन मे
नही मंदिर मे पहुंची वो चढ़ी न देव चरणं मे
कथा जिसकी सुनानी थी वो लड़की रातरानी थी
रही खुशबू सी चंचल वो जिसे खुशियां लुटानी थी
वो लड़की रातरानी थी वो लड़की रातरानी थी ।।