वो लड़का
राह पकड़ चलते गए,मंजिल थी अति दूर ।
मन में यह विश्वास था, होंगे सफल जरूर ।।
छोटा बड़ा काम किया, छोड़ी सारी शर्म ।
सच्ची लगन रख दिल में,खूब किए सब कर्म ।।
उठकर सुबह से चलता, देता था अखबार ।
थोड़ी डांट भी सहता, किया नहीं प्रतिकार ।।
रखता उठा कर कपड़े, दिन में बारम्बार ।
थोड़ा जाऊँ बैठ तो, मिले डाँट फटकार ।।
लड़का सोलह साल का, खूब करें वो काम ।
झाड़ू ले टॉकीज में , सुबह लगाता शाम ।।
चलता था या दौड़ता, देख,अचंभित लोग ।
रोज भूखे रहकर ही, पाल लिए थे रोग ।।
विपदाओं को पार कर, सफल हुआ वो आज ।
वह खेला कूदा जहाँ , उस धरती पर नाज़ ।।
—–जेपीएल