वो रास्ता…..(पियुष राज)
वो रास्ता…
जिस रास्ते से गुजरती थी वो
वो रास्ता मुझे उसकी याद दिलाता है
जब भी गुजरता हूं उस रास्ते से
तो उसका चेहरा मेरी आँखों में आता है
ऐसा लगता है जैसे हम उसके साथ चल रहे है
उस वक़्त जो न कह सके थे वो आज हम कह रहे है
पूरे रास्ते में मुझे बस वो ही नजर आती है
आज भी उसकी याद मुझे बहुत तड़पाती है
दिल करता है काश वो मुझसे कुछ बोले
राज अपने दिल के वो मुझसे खोले
पर बिना कुछ कहे वो मुझसे मुह मोड़ गयी
बीच रास्ते में मुझे अकेला छोड़ गयी
रास्ता तो वही है पर वक़्त वो न रहा
बिछड़कर उससे जाता मैं कहाँ
वो रास्ता तो आज भी उसकी याद दिलाता है
जब भी गुजरता हूं उस रास्ते से
तो उसके करीब होने का एहसास दिलाता है…..
©पियुष राज,दुमका,झारखण्ड ।
(कविता-44) 19/02/2017