वो मेरे यार
कहां गया वह वक्त कहां गई वह यारी,
अब तो बस सिर पर है हमारे जिम्मेदारी।
वह मेरे बचपन के यार ना जाने कहां
व्यस्त हो गए, जो संग खेला करते थे,
ना जाने कहां गई वह बचपन वाली जिंदगी
जिसमें हम दोस्तों संग खेल खेला करते थे।
यादों का पिटारा खोलूं अगर मैं,
पुराने यार बहुत याद आते हैं,
कुछ तो पास होकर भी हमसे दूर हैं,
तो कुछ चाह कर भी मिल नहीं पाते हैं।
© Abhishek Shrivastava “Shivaji”