वो मिले आज जैसे अंजान हों
वो मिले आज जैसे अंजान हों!
मुलाकात ऐसी की मेहमान हों !!
मेरी आरजू है -ए- मेरे खुदा !
वो दिल से भी अच्छे इंसान हों !!
कभी रास्तो में अंधेरा न आये !
उनको तो हरपल दिनमान हों!!
मेरी दुआ है जोभी है उनके !
हो जायें पूरे जो अरमान हों !!
…………-:कवि गोपाल पाठक:-…….