वो महान जग में है
अच्छाई और बुराई के सारे निशान जग में हैं
साथ हैं अच्छाई के जो, वो महान जग में है
माना कठिन रही है यहां अच्छाईयों की डगर
दुख नहीं देती कभी है इस पे जो चलो अगर
अंत सदा ही सुखद है रहा अच्छाई का
प्रारंभ में भले ही थोडी़ मुश्किलें आतीं नजर
हारी नहीं कभी ये भले , परेशान जग में है
साथ हैं अच्छाई के जो, वो महान जग में है
अच्छाई और बुराई में होते कई विभेद हैं
एक भाव हर्ष का है , और एक खेद है
जानिए कि सबसे बड़ा भेद ये दोनों में है
अच्छाई से जुडा़व है बुराई से विच्छेद है
अच्छाई और बुराई का ही इम्तिहान जग में है
साथ हैं अच्छाई के जो, वो महान जग में है
अपने हाथों से ही अपने आप को छलें नहीं
आग लगा खुद ही उसकी लपटों में जलें नहीं
एक स्वर में ये कसम खाएं हम मिलके सभी
अच्छाईयों को छोड़कर बुराई पर चलें नहीं
अच्छाई ही सबसे बड़ा कृपानिधान जग में है
साथ हैं अच्छाई के जो, वो महान जग में है
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली