वो भी तिरी मानिंद मिरे हाल पर मुझ को छोड़ कर वो भी तिरी मानिंद मिरे हाल पर मुझ को छोड़ कर इमरोज़ चाँद भी सो गया अब्र की चादर ओढ़ कर – धरा