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10 Nov 2023 · 2 min read

*”वो भी क्या दिवाली थी”*

“वो भी क्या दिवाली थी”
बचपन के दिन भी क्या दिन थे ,
माँ रसोई घर में लजीज व्यंजन पकवान बनाती।
भैया ,पापा सब मिलकर छतों दीवारों पर ,
रंग बिरंगी जगमाती झालर लाइट्स लगाते।
रौशन हो घर जगमगा उठता ,
जैसे नई दिशा उम्मीदों को फिर से जगाते।
“वो भी क्या दिवाली थी……! !
फुलझड़ी फटाखों से डरते रोते हुए ,
घर के अंदर दुबक जाते थे।
फटाखे की चिंगारी से डर लगता ,
अनार चकरी देख दूर से ताली बजाते।
पापा सबके हिस्से की फटाखे बाँट कर ,
दीपावली पर्व की पूजन करने जाते।
दीपमालिका सजी थाल में लेके ,
पूरे घर में दीप प्रज्वलित करते जाते।
“वो भी क्या दिवाली थी…..! ! !
दीप प्रज्वलन के बाद फटाखे जलाते ,
बड़े भाई फटाखे चला हम सबको दिखलाते,
दूर से ही देख हम ताली बजा खुश हो जाते।
मम्मी पापा खील बताशे मिठाई लेकर ,
सब बच्चों का मुँह मीठा करवाते।
बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर ही ,
दिवाली हँसी खुशी उमंग त्यौहार मनाते।
“वो भी क्या दिवाली थी……! ! !
अच्छे नए कपड़े लेने की फरमाइश करते ,
सबकी पसंद नापसन्द का ख्याल रखते।
छत मुंडेर पर दीप जला घर रोशन कर जाते।
जगमगाती दीये की कतारों से नई दिशा की ओर ले जाते।
चेहरों पे खुशियों की झलक मिलती ,
लक्ष्मी गणेश संग पधार कर धन धान्य सुख समृद्धि दे जाते।
“वो भी क्या दीवाली थी….! ! !
सज संवर कर नए वस्त्र पहनकर ,
लक्ष्मी पूजन कर छत पर आतिशबाजी नजारा देखते।
तरह तरह के नए फटाखे फोड़ते हुए ,
धूमधाम से दीवाली त्यौहार मनाते।
दो सिरों पे रस्सी से रेलगाड़ी वाली सीटी बजाती फटाखे का मजा लेते।
चकरी ,अनार ,एटम बम ,रस्सी बम,लक्ष्मी फटाखे लाल बम ,काली गोली नाग जलाते।
फुलझड़ियों की चमकती हुई रोशनी में,
गोल गोल आकार बनाकर घुमाते जाते।
रंगीन रौशनी की लड़ियों को जला कर ,
चितपिट ,सिघाड़ा बम सुतली जलाते।
लोहे की पिस्टिल से रील फटाखे चलाते।
कभी कभी उसे छोटे हथौड़ी से जमीन पे रखकर फोड़ते जाते।
खूब मजे से दीवाली मनाते ,हँसी खुशी त्यौहार मनाते।
गुजिया ,पपड़ी ,गुलाब जामुन ,रसमलाई ,
चिवड़ा नमकीन सभी पकवान छक कर खाते।
“वो भी क्या दीवाली थी …! ! !
दूसरे दिन सभी घरों में प्रसाद विरतण ,
बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद पैर छूकर कुछ उपहार स्वरूप लेकर आते।
यूँ ही दीवाली मनाई जाती ,
रौनक लौट आती खुशियाँ जी भरकर ,
उम्मीदों का दामन थाम नई दिशा में ,
कदम बढ़ाकर सुखी जीवन की ओर आकर्षित कर जाती।
*”काश वो दिन दीवाली के फिर से लौट आए,
आशा की किरणों से उम्मीद का दामन थाम ,
ये जीवन खुशियों से सरोबार हो जाए…..! ! !*
“फिर से वही दीवाली हम सभी एक साथ मनाए”
“आओ हम सब मिलकर नई आशाओं का दीप जलाए”
“उम्मीद की किरणों से नव जीवन प्रकाश से भर जाए”
“वो भी क्या दीवाली थी…..अब नई दिशा में नए सिरे से खुशी मनाए”
शुभ दीपावली पर्व मंगलमय हो।🙏🌹🌹🌹
शशिकला व्यास 📝✍

1 Comment · 310 Views
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