वो भी क्या दिन थे
आज के दोहे – –
1.छत पर जल छिड़काय के, बिस्तर दियो लगाय।
पड़ते ही आती थी निंदिया, प्रभु ए सी दियो चलाय।।
2.रखते छत पर रोज इक, पानी भरी सुराई।
ठंडा जल ऐसा लगे, के फ्रिज को मात दिलाई।।
3.ठंडे दूध में डालते बरफ और ठंडाई,
कोकाकोला पेप्सी सभी फेल थे भाई।।
4.खस के परदे डालकर पानी दियो झिड़काय,
उसकी ठंडक के आगे एसी कूलर भी शीश झुकाय।।
———रंजना माथुर दिनांक 05/07/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना ©