वो भगवान हो गया
मैंने पत्थर को तरासा वो भगवान हो गया
वो मंदिर में बैठा पुजारी धनवान हो गया
आशीष कहां जाकर बरसी मुझे मालूम नहीं
मैं दीन तो तब भी था अब बेजान हो गया!
~ सिद्धार्थ
किस सुबह की तलाश थी कैसी सुबह मिली मुझे
कतार ए शम्स दिखाकर आसमां ने छला है मुझे … ?
~ सिद्धार्थ