*वो बीता हुआ दौर नजर आता है*(जेल से)
वो बीता हुआ दौर नजर आता है(जेल से)
जरूरी नहीं सभी गुनहगार हों यहां,
फिर भी हर कोई चोर नजर आता है।
शान्त गुमशुदा खोया सा हर एक यहां,
फिर भी हर तरफ, शोर नजर आता है।
वो बीता हुआ दौर नजर आता है।।१।।
यहां हर कोई, अपनापन जरूर दिखाता है।
फिर भी अपना यहां, कौन नजर आता है।
गुनाहगार नहीं हूं, फिर भी चारों ओर अंधेरा है,
नजरें उठाऊं तो, ना मुझे भोर नजर आता है।
वो बीता हुआ दौर नजर आता है।।२।।
घर की वो यादें, वो अपनों का प्यार।
वो चांद सा चेहरा, जीवन की बहार।
बाहर से है हर कोई खुशी यहां, मगर,
अंदर से देखो तो, बौर नजर आता है।
वो बीता हुआ दौर नजर आता है।।३।।
बंद दीवारें दरवाजे, सब अजनबी से लोग,
समय उनका है उल्टा, झेल रहे वियोग।
यहां कार्य बहुत हैं, लोग करते भी हैं मगर,
फिर भी हर कोई, कामचोर नजर आता है।
वो बीता हुआ दौर नजर आता है।।४।।
कोई जैसे तैसे, दिन काटे अपने,
कोई आंखों में सजाए, सुंदर सपने।
आंसू जोर बैर किसका किस पर यहां,
कोई वन टू का फोर नजर आता है।
वो बीता हुआ दौर नजर आता है।।५।।
वो पद वो मान-सम्मान, कहां यहां,
अब दुष्यंत कुमार अपना परिचय खुद बताता है।
दिलों में जख्म, कुछ बोलते क्या नहीं,
बंदी रहकर, जिंदगी का छोर नजर आता है।
वो बीता हुआ दौर नजर आता है।।६।।