Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Aug 2017 · 2 min read

…वो बचपन, वो तुम्हारी गुटर-गुटर

वो बचपन कैसे भूल सकता हूं और भूल नहीं सकता तुम्हारी गुटर-गुटर….। मेरे दोस्त, तब इतनी आपाधापी नहीं थी…तुम भी स्वच्छंद थे और मैं भी स्वतंत्र। बचपन किसी कपोत की उड़ान जैसा ही तो होता है, निर्मल…डरा सा, सहमा सा, बहुत कुछ देख लेने की चाहत, छोटी इच्छाएं, बड़ी सी भावनाएं…। सच, कितना मीठा सा था वो बचपन। तुम मेरे घर की छत के रोशनदान में अकसर आकर गुटर गुटर किया करते थे, मैं तब छोटा था और यकीन मानो कि तब मुझे वो आवाज अकसर चिंता में भी डाल दिया करती थी कि आखिर मेरे दोस्त को कोई तो परेशानी है जो वो खुलकर नहीं बोल पा रहा…। मां से पूछा कि ये कबूतर इतना ही क्यों बोल पाते हैं….ये हमारी तरह सारी बातें कह क्यों नहीं देते….। मां मुस्कुराई और कहा वो जिनके लिए बोल रहे हैं वो उन्हें पूरी तरह समझ भी रहे हैं….। मैंने दोबारा सवाल किया हम क्यों नहीं समझ पाते….मां ने कहा वो भी तो हमें नहीं समझ पाते…तभी तो हमसे भयभीत रहते हैं….। मां की बातें पूरी तरह समझ नहीं आईं….। इतना समझ पाया कि उस ईश्वर ने हमें अलग-अलग बनाया है, वो नहीं चाहता था कि हम एक-दूसरे की भाषा और बोली को समझें…। मैं ये जिद नहीं करता कि ऐसा क्यों था लेकिन मेरे दोस्त एक बात अवश्य कहना चाहता हूं कि तुम्हारी उस गुटर-गुटर में तब चिंताएं अधिक होती थीं….मैं जानता था कि रोशनदान की दीवार जिस पर तुम बैठा करते थे वो छोटी और यकीन मानना मुझे वो डर सताता था कि कहीं तुम थककर आए और झपकी लगने पर गिर न पडो….कई बार खिड़की से देखता था….तब मां कहती थी कि उसे कुछ नहीं होगा….उसे ईश्वर ने बहुत ताकतवर बनाया है…सोचता हूं कभी मां कहती थी इंसान ताकतवर है और कभी कहती थी कि परिंदा….। मुझे लगता है असल ताकतवर तो वो है जिसने इंसान और परिंदे को साथ बनाया और करीब रहने के तौर’तरीके सिखाए और समझाए….। दोस्त तुम अब भी मुझे उतने ही भाते हो, उम्र बढ़कर कापफी आगे निकल आई है लेकिन बचपन तो कांधे पर ही सवार है…। वो जिद करता है, उतरने की बात पर मेरे गले और मन से लिपट जाता है…।
संदीप कुमार शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
428 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दिल का हाल
दिल का हाल
पूर्वार्थ
*आ गये हम दर तुम्हारे दिल चुराने के लिए*
*आ गये हम दर तुम्हारे दिल चुराने के लिए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
*प्यार भी अजीब है (शिव छंद )*
Rituraj shivem verma
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हम कहाँ जा रहे हैं...
हम कहाँ जा रहे हैं...
Radhakishan R. Mundhra
वक्त यूं बीत रहा
वक्त यूं बीत रहा
$úDhÁ MãÚ₹Yá
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
पुनर्जन्माचे सत्य
पुनर्जन्माचे सत्य
Shyam Sundar Subramanian
सुनो पहाड़ की.....!!!! (भाग - ६)
सुनो पहाड़ की.....!!!! (भाग - ६)
Kanchan Khanna
तपोवन है जीवन
तपोवन है जीवन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
देश भक्ति का ढोंग
देश भक्ति का ढोंग
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
मुश्किल में जो देख किसी को, बनता उसकी ढाल।
मुश्किल में जो देख किसी को, बनता उसकी ढाल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया कैसे ।
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया कैसे ।
Neelam Sharma
जरूरत के हिसाब से सारे मानक बदल गए
जरूरत के हिसाब से सारे मानक बदल गए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हमारी जिंदगी भरना, सदा माँ शुभ विचारों से (गीत)
हमारी जिंदगी भरना, सदा माँ शुभ विचारों से (गीत)
Ravi Prakash
■ साल चुनावी, हाल तनावी।।
■ साल चुनावी, हाल तनावी।।
*Author प्रणय प्रभात*
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
मेरी किस्मत को वो अच्छा मानता है
मेरी किस्मत को वो अच्छा मानता है
कवि दीपक बवेजा
23/167.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/167.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े  रखता है या
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े रखता है या
Utkarsh Dubey “Kokil”
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
जीना सिखा दिया
जीना सिखा दिया
Basant Bhagawan Roy
मैं उनके सँग में यदि रहता नहीं
मैं उनके सँग में यदि रहता नहीं
gurudeenverma198
छिपकली बन रात को जो, मस्त कीड़े खा रहे हैं ।
छिपकली बन रात को जो, मस्त कीड़े खा रहे हैं ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
तुम अपने धुन पर नाचो
तुम अपने धुन पर नाचो
DrLakshman Jha Parimal
फूल बनकर खुशबू बेखेरो तो कोई बात बने
फूल बनकर खुशबू बेखेरो तो कोई बात बने
Er. Sanjay Shrivastava
पापा के वह शब्द..
पापा के वह शब्द..
Harminder Kaur
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
चंद अश'आर ( मुस्कुराता हिज्र )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
Loading...