वो बचपन का सफर…
वो गुजरा हुआ लम्हा थोड़ा अनजाना था,
वो बचपन का सफर कितना सुहाना था।
ना मतलब था किसी दुनियादारी से,
बस सारा दिन खेलना और खाना था।
वो बचपन का सफर…
अपना परिवार ही हमारा संसार था,
और खूबसूरत-सा आशियाना था।
वो बचपन का सफर…
माँ-पापा की प्यार की वजह से,
ना नफरत को कभी पहचाना था।
वो बचपन का सफर…
स्कूल ना जाना पड़े इसके लिए,
हर रोज पेश एक नया बहाना था।
वो बचपन का सफर…
स्कूल शुरू होते ही गर्मी की छुट्टियों का इंतजार रहता,
क्योंकि छुट्टियों का वक़्त नानी के घर बिताना था।
वो बचपन का सफर…
ना मतलब था किसी दिखावे से,
वो सादगी भरा जमाना था।
वो बचपन का सफर…
खिलौनों का कलेक्शन ही हमारे लिए,
एक महंगा सा कारखाना था।
वो बचपन का सफर…
ना दर्द का मतलब पता था, ना आंसुओं की कीमत,
बस खुशियों को ही हमने पूरा जहान माना था।
वो बचपन का सफर…
ना कोई मकसद था हमारी जिंदगी का,
हमें तो बस अपनी फरमाइशों को दोहराना था।
वो बचपन का सफर…
झूड और फरेब से कोई वास्ता नही था,
अपनी गलतियों को हमे मासूमियत से बताना था।
वो बचपन का सफर…
संघर्ष का दूसरा नाम ही जिंदगी है,
उस वक्त हमने ये सच नहीं पहचाना था।
वो बचपन का सफर…
कुछ बातों का हमेशा से मलाल रहा हमें,
लेकिन ये दौर लौटकर वापस नहीं आना था।
वो बचपन का सफर…
आप सभी पाठकों एवम सम्पूर्ण विश्व के मुझसे छोटे -बड़े समस्त भैया- बहनों और अभिवावकों को बालदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मेरी सभी से गुज़ारिश है कि आप सभी अपने-अपने स्तर पर प्रयास करें जिससे बच्चों से उनका बचपन न छीना जाए। हम और आप इस तथ्य से भली-भाँति अवगत हैं कि कई स्थानों पर बच्चों का अनावश्यक शोषण किया जाता है। हर बच्चे को अपने बचपन को हँसी- खुशी से जीने का अधिकार है चाहे वो उच्च वर्ग का हो, मध्य वर्ग का या निम्न वर्ग का।
बाल-श्रमिक की अवधारणा ही खत्म कर देनी चाहिए क्योंकि कोई भी बच्चा जान -बूझकर ऐसे काम नहीं करता उसे मजबूरन परिस्थितियों से विवश होकर ये काम करने पड़ते हैं। सभी को इन बच्चों की हरसंभव मदद करनी चाहिए।उम्मीद है कि सभी लोग ऐसे बच्चों की मदद करेंगे इसी में बालदिवस की सार्थकता है।
धन्यवाद!
– मानसी पाल