वो पापा का कंधा
वो पापा का कंधा और वो मेले-झूले ,
बस इतनी सी ही थी रंगीन दुनिया मेरी,
अब जब कभी यूँ तकलीफ़ में होते हैं,
तो बहुत याद आते हैं वो पापा के कंधे
हाथ में यूँ नमकीन का पैकेट को रखना।
झूले को देखकर वो रोना-धोना,मचलना
वे मेले,वे झूले,वे रौनक बेरौनक हुए सब,
कहाँ गया वो बेबजह का खिलखिलाना।