**वो पागल दीवाना हो गया**
**वो पागल दीवाना हो गया**
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जो खुद से बेगाना हो गया,
वो पागल दीवाना हो गया।
खोया – खोया जो रहता सदा,
वो मुश्किल समझाना हो गया।
भूली – बिसरी यादें बन गई,
यूँ गुजरा अफसाना हो गया।
मनसीरत का था जो आसरा,
वो भी तो अनजाना बन गया।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)