Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jul 2023 · 2 min read

वो पहला दिन

संस्मरण
वो पहला दिन
——————
मुझे २७ मार्च “२०२१ को एक कवि सम्मेलन में बतौर संरक्षक जिस शहर जाना था, संयोग से उसी शहर में आभासी रिश्ते की मुंहबोली बहन के मकान का निर्माण चल रहा था।जब उसे अपने आने की जानकारी उसे दी, तो उसने बड़े अधिकार से मिलने और निर्माणाधीन मकान पर आने आमंत्रण दे डाला, उसके अपनत्व और स्नेहिल आमंत्रण को ठुकराने का साहस मुझमें नहीं हुआ, क्योंकि इसके पूर्व वहां जाकर भी अपनी लापरवाही से उससे मिल न सका था,जिसकी शिकायत वो आज भी करती रही,लिहाजा स्वीकृत दे दिया।
आयोजन कमेटी के संस्थापक के आग्रह और अनदेखी, अंजानी बहन से मिलने का लोभ लिए मैं एक दिन पूर्व ही घर से निकल पड़ा, बहन के आग्रह का सम्मान भी करना था, इसलिए यह सुविधाजनक भी लगा। बताता चलूं कि हमारे बीच महज आभासी संवाद भर था, हम कभी मिले नहीं थे। खैर……।
घर से निकलते हुए मैंने अपने आगमन की सूचना से उसे अवगत करा दिया था। जिससे उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने इस बात से अपने बेटे को अवगत कराते हुए उसका नंबर मुझे उपलब्ध कराने के साथ बेटे का नंबर भी मुझे भेज दिया, ताकि मुझे असुविधा न हो, क्योंकि वो विद्यालय में थी। उसके बेटे से मेरी बात होती रही, हालांकि मुझे रास्ते में विलंब हो गया, मेरी यथा स्थिति की जानकारी वो बीच बीच में लेती रही, मुझे रास्ते में विलंब हो गया, तब उसने एक स्थान पर मेरा इंतजार करने की बात कहकर वहीं मुझे रुकने के लिए कहा। यह अलग बात है कि वो मेरे पहुंचने से पहले वहां पहुंच गई थी।
उसके बताए स्थान पर जब मैंने बस से उतरकर उसे फोन किया, फिर हम दोनों पहली बार जब आमने सामने हुए, तो उसने बिना किसी संकोच मेरे पैर छुए, तो मेरा हाथ स्वत: ही उसके सिर पर आशीर्वाद की मुद्रा में पहुंच गया। उसके स्नेह सम्मान से मेरी आंखें नम हो गईं। उसके बाद हम दोनों निर्माणाधीन मकान पर पहुंचे, जहां उसके बेटे ने मेरे पैर छुए। मजदूरों से बड़े भाई के रूप में मेरा परिचय कराया। जलपान के बाद निर्माण संबंधी बातचीत करते हुए मकान दिखाया। लगभग चार घंटे रहने के बाद मैं अपने गंतव्य पर चला गया, उस समय उसकी भावुकता झकझोरने वाली थी। इतने अल्प समय और पहली मुलाकात में ही उसने मुझे जो मान, सम्मान, स्नेह, अपनत्व दिया, उसका मैं कर्जदार सा हो गया। आगे चलकर उसने अपने हाथों मेरी कलाई में राखी बांधकर अपने रिश्ते को मजबूत कर दिया। आज भी वो छोटी बहन ही नहीं बेटी बनकर भी मेरा मान बढ़ाकर मुझे गौरवान्वित कर रही है।
आभासी दुनिया से आगे बढ़ते हुए वास्तविक दुनिया में ये था हमारा अपनी लाड़ली बहन के साथ वो पहला दिन, जिसे भूल पाना मेरे लिए असम्भव सा है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 79 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"समझाइश"
Dr. Kishan tandon kranti
रात रात भर रजनी (बंगाल पर गीत)
रात रात भर रजनी (बंगाल पर गीत)
Suryakant Dwivedi
मुझे याद रहता है हर वो शब्द,जो मैंने कभी तुम्हारें लिए रचा,
मुझे याद रहता है हर वो शब्द,जो मैंने कभी तुम्हारें लिए रचा,
पूर्वार्थ
" पीती गरल रही है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हमनें कर रखें थे, एहतराम सारे
हमनें कर रखें थे, एहतराम सारे
Keshav kishor Kumar
विजेता सूची- “सत्य की खोज” – काव्य प्रतियोगिता
विजेता सूची- “सत्य की खोज” – काव्य प्रतियोगिता
Sahityapedia
भव्य भू भारती
भव्य भू भारती
लक्ष्मी सिंह
*साठ के दशक में किले की सैर (संस्मरण)*
*साठ के दशक में किले की सैर (संस्मरण)*
Ravi Prakash
हर ख़ुशी तुम पे वार जायेंगे।
हर ख़ुशी तुम पे वार जायेंगे।
Dr fauzia Naseem shad
दिया है नसीब
दिया है नसीब
Santosh Shrivastava
तिरंगा
तिरंगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
सत्य कुमार प्रेमी
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
Manoj Mahato
आकाश के सितारों के साथ हैं
आकाश के सितारों के साथ हैं
Neeraj Agarwal
जीवन के अंतिम दिनों में गौतम बुद्ध
जीवन के अंतिम दिनों में गौतम बुद्ध
कवि रमेशराज
शराब का इतिहास
शराब का इतिहास
कवि आलम सिंह गुर्जर
सलाम
सलाम
Dr.S.P. Gautam
4688.*पूर्णिका*
4688.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
शेखर सिंह
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
भिनसार हो गया
भिनसार हो गया
Satish Srijan
तू बढ़ता चल....
तू बढ़ता चल....
AMRESH KUMAR VERMA
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
बिगड़ता यहां परिवार देखिए........
SATPAL CHAUHAN
-दीवाली मनाएंगे
-दीवाली मनाएंगे
Seema gupta,Alwar
प्रीति क्या है मुझे तुम बताओ जरा
प्रीति क्या है मुझे तुम बताओ जरा
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
■नापाक सौगात■
■नापाक सौगात■
*प्रणय*
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
!! रे, मन !!
!! रे, मन !!
Chunnu Lal Gupta
किसी भी काम को बोझ समझने वाले अक्सर जिंदगी के संघर्षों और चु
किसी भी काम को बोझ समझने वाले अक्सर जिंदगी के संघर्षों और चु
Rj Anand Prajapati
Loading...