*वो दिल के बहुत अमीर है*
वो दिल के बहुत अमीर है
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वो दिल का बहुत अमीर है,
सीने में शीतल बहे समीर है।
जो सब के जरा करीब हो,
बंदा वो बड़ा नसीर है।
धोखा भी न दे सके कभी,
दिल भरता नहीं ज़मीर है।
औरों की फ़िक्र न कर सके,
खुद ही जो बने वज़ीर है।
दरिया से सदा लगे गले,
दुनिया में दिये नज़ीर है।
मनसीरत दुखी न देखता,
हर युग में हुए कबीर है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)