वो दिन क्यों याद
भूलना चाहा जिस दिन को,
वो दिन क्यों याद है
ना कुछ खास है, ना कुछ बात है,
फिर भी ना जाने वो दिन क्यों याद है ।
याद करना चाहा जिस दिन को वो
दिन तो याद नहीं, ना वो लम्हें याद,
ना ही वो चेहरे याद ना उस चेहरे पर की खुशी,
याद वो भी नही जिसे याद किया।
बस वे लम्हे याद
बिना देखे, बिना मिले, बिना सुने
काल्पनिक वे चेहरे याद, जिसे चाहा भी नहीं याद करने को वो अंश याद।
कहे बड़े शान से वे गुच्छे के शब्द,
भूल जाएंगे, फिर याद भी न आयेंगे,
पर न जाने वो सक्स क्यों याद,
वो दिन क्यों याद है।
न कुछ खास नहीं कोई उत्सव
बस मातम सा छाया वो वो दिन क्यों याद,
भूलकर भी भूल जाएं पर ऐसा भी नहीं फिर भी वो दिन क्यों याद।
हैरानी तो अनंत खुशी से है
आई जिंदगी पर वो तो याद नहीं,
दर्द से भरे वो राह फिर क्यों याद है,
ये जिंदगी हैरान हूं तुझसे,
पर परेशान नहीं।
खुशी से मिले पल याद नहीं,
साथ रहे वो दिन याद नहीं,
फिर न रहने का गम क्यों याद, एकाकीपन क्यों याद।
जिद्दी था मन, जिद से जीते वो पल याद नहीं
न जाने फिर क्यों याद है जिद से हारे वो दिन
सच ये जिंदगी तू अनंत है समझ सकूं ऐसा कोई पल क्यों याद नहीं।
आखिर अनंत वो दिन क्यों याद है
क्यों याद वे दिन?
कह पाऊं ऐसा कोई सामर्थ नहीं
न चाहने पर भी आखिर क्यों याद है वो दिन
भूलना चाहा वो सिसकियां
वो आह भरी राते, पर कमबख्त पता नही फिर भी वो दिन क्यों याद है।