वो थी इंदिरा ..( पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी जी की स्मृति में)
नारी सशक्तिकरण को ,
जिसने दिया एक आधार ।
वो थी दुर्गा ,वो थी शारदा,
थी उसमें शक्ति अपार ।
वो थी इंदिरा ..
माता पिता की दुलारी ,
उनका गौरव उनका मान ।
पुत्री थी मगर पुत्र से कम न थी ,
जग में बढ़ाया अपने कुल का नाम ।
वो थी इंदिरा ..
पिता के संग फिरंगियों से,
लोहा लेने का जब भाव मन में आया।
अपनी प्यारी विदेश गुड़िया को ,
विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार तहत जलाया ।
वो थी इंदिरा…
देश को आजाद करवाने हेतु ,
जब सभी बड़ों ने योजना बनाई ।
तब इस नन्ही बालिका ने अपने ,
मित्रों संग वानर सेना बनाई ।
वो थी इंदिरा …
देशभक्ति जिसके खून में ,
जन्म से ही थी समाई ।
संस्कारों के संग देशप्रेम ने ,
व्यक्तित्व में जगह बनाई ।
वो थी इंदिरा…
जैसे जैसे युवा हुई देशप्रेम की ,
भावना बलवती होती गई ।
नन्ही सी इंदु ज्योति से ,
तेजस्वी ज्वाला बनती गई ।
वो थी इंदिरा…
देश तो आजाद हो गया,
फिर पिता ने कमान संभाली ।
पिता के चले जाने के बाद ,
पुत्री ने देश की कमान संभाली ।
वो थी इंदिरा…
बनकर प्रथम महिला प्रधान मंत्री ,
पिता के सपनो को पूर्ण किया।
जहां से छोड़ा था पिता ने मार्ग ,
पुत्री ने उसे आगे कदम बढ़ाया।
वो थी इंदिरा…
सम्पूर्ण देश को मिलाकर ,
उसने एकजुट किया ।
विश्व में भी देश का नाम ,
और सम्मान रोशन किया ।
वो थी इंदिरा ..
अपने जीवन की निजी ,
समस्याओं और गमों को भुलाकर ।
अपने देश की समस्याओं को ,
दूर किया जड़ से पूर्णतः मिटाकर ।
वो थी इंदिरा..
पुरुष सत्तात्मक समाज में ,
उसने वर्चस्व ऐसा कायम किया।
नारी की भूमिकाओं की सीमा बढ़ाकर,
एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में नाम कमाया।
वो थी इंदिरा…
देश के नाम अपने खून का ,
एक एक कतरा करने वाली वो थी वीरांगना।
मगर अफसोस ! अपनों द्वारा मारी गई ,
कैसी थी भाग्य की विडंबना ।
वो थी इंदिरा …
रक्षक ही भक्षक बन बैठे ,
जिनपर अगाध विश्वास था उसका।
गोलियों से भून डाला दैत्यों ने ,
दिलो दिमाग कुत्सित हो गया उनका ।,
वो थी इंदिरा…
यही वोह मनहूस दिन था ,वही घड़ी ,
जब देश ने अपनी प्यारी इंदु को खोया था।
इस देश का कोना कोना उसके गम ,
और आंसुओं में डूब गया था ।
सभी के दिलों में जगह बनाने वाली ,
नारी शक्ति को बल देने वाली ,
अमर रहेगी वो शक्तिपुंज ,
वो थी इंदिरा…