वो तो अहले शहर का मेहमान है , और कुछ नही
वो तो अहले शहर का मेहमान है , और कुछ नही
हां थोडी़ बहोत जान पहचान है , और कुछ नही
मै तो बस खैरीयत पुछने चला गया था
वो एक बडा़ अच्छा इंसान है , और कुछ नही
जहां ईश्क मिजाज परिंदों का बसेरा नही होता
वो दिल बंजर है विरान है , और कुछ नही
भला ये क्या कह दिया आपने नही बिलकुल नही
दिल अभी मोहब्बत लफ्ज से अंजान है , और कुछ नही
अब कयामत तक तनहा वो न निकलेगा मेरे दिल से
वो मेरी जिश्म है जान है , और कुछ नही