Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2020 · 1 min read

वो तेरा ही तो नाम था

अटका था दिल मेरा जगह वो आम था
पलट कर देखा, वो तेरा ही तो नाम था

इन दिनों कुछ बुझी बुझी सी दिखती हूॅं मैं
इश्क हुआ होगा, अपनों में चर्चा ये आम था

साहिल के सवर्ण कणों पे जो दिल बना था
उस में हमने लिखा तेरा ही तो बस नाम था

बंजर ज़मीं में जो इश्क ए गुल उग आया था
हिफाज़त उसका करना ही मेरा काम था
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 272 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खूबसूरत सा लगा है वो अंदाज़ तुम्हारा हमें,
खूबसूरत सा लगा है वो अंदाज़ तुम्हारा हमें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
केशव तेरी दरश निहारी ,मन मयूरा बन नाचे
केशव तेरी दरश निहारी ,मन मयूरा बन नाचे
पं अंजू पांडेय अश्रु
अभी एक बोर्ड पर लिखा हुआ देखा...
अभी एक बोर्ड पर लिखा हुआ देखा...
पूर्वार्थ
प्यार का गीत
प्यार का गीत
Neelam Sharma
प्यार और नौकरी दिनो एक जैसी होती हैं,
प्यार और नौकरी दिनो एक जैसी होती हैं,
Kajal Singh
संग दीप के .......
संग दीप के .......
sushil sarna
जब रात बहुत होती है, तन्हाई में हम रोते हैं ,
जब रात बहुत होती है, तन्हाई में हम रोते हैं ,
Neelofar Khan
इस बरखा रानी के मिजाज के क्या कहने ,
इस बरखा रानी के मिजाज के क्या कहने ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
माहिया छंद विधान (पंजाबी ) सउदाहरण
माहिया छंद विधान (पंजाबी ) सउदाहरण
Subhash Singhai
हो सके तो मीठा बोलना
हो सके तो मीठा बोलना
Sonam Puneet Dubey
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
जगदीश शर्मा सहज
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
कवि दीपक बवेजा
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
Kumar Kalhans
हर गलती से सीख कर, हमने किया सुधार
हर गलती से सीख कर, हमने किया सुधार
Ravi Prakash
एक दिन इतिहास लिखूंगा
एक दिन इतिहास लिखूंगा
जीवनदान चारण अबोध
"नदी की सिसकियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
* मुस्कुराते नहीं *
* मुस्कुराते नहीं *
surenderpal vaidya
माँ का घर (नवगीत) मातृदिवस पर विशेष
माँ का घर (नवगीत) मातृदिवस पर विशेष
ईश्वर दयाल गोस्वामी
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है।
पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है।
Brijpal Singh
जिंदगी के और भी तो कई छौर हैं ।
जिंदगी के और भी तो कई छौर हैं ।
Ashwini sharma
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
Johnny Ahmed 'क़ैस'
मौत के डर से सहमी-सहमी
मौत के डर से सहमी-सहमी
VINOD CHAUHAN
खुल गया मैं आज सबके सामने
खुल गया मैं आज सबके सामने
Nazir Nazar
जो दूर हो जाए उसे अज़ीज़ नहीं कहते...
जो दूर हो जाए उसे अज़ीज़ नहीं कहते...
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
वफ़ा
वफ़ा
shabina. Naaz
Loading...