वो तीर ए नजर दिल को लगी
वो तीर ए नजर दिल को लगी
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वो तीर ए नजर दिल को लगी,
छलनी जिगर,जान सूली चढ़ी।
पल भर में देखो क्या हो गया,
पागल दिल सपनों में खो गया,
दे कर ज़ख्म,चल दी मनचली।
छलनी जिगर,जान सूली चढी।
आई नहीं हम ने देखी खड़ी,
उन को थी, घर जाने की पड़ी,
बीता दिवस शाम भी थी ढली।
छलनी जिगर,जान सूली चढी।
उनका हम पर,असर इसकदर,
जीवन सफर की हो हमसफ़र,
सितमगर सितम ढा कर चली।
छलनी जिगर,जान सूली चढ़ी।
होंठ गुलाबी रसीले बड़े,
लावण्य रस के हों भरे घड़े,
मादक अदाएं खतरे की घड़ी।
छलनी जिगर,जान सूली चढी।
मनसीरत कदम जमीं पर नहीं,
रुक गई धड़कन दिल की वहीं,
चाँद सितारों की देखी है लड़ी।
छलनी जिगर,जान सूली चढी।
वो तीर ए नजर दिल को लगी,
छलनी जिगर जान सूली चढी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)