वो तड़पते रहे मयार में मेरे ऐसे ।
वो तड़पते रहे मयार में मेरे ऐसे ।
जैसे उसकी गली से मेरा जनाज़ निकला ।
और जिसको चाहा मैंने इश्क़ से बढ़कर हमदम ।
वो बेवफा मेरे खून का प्यासा निकला ।।
Phool gufran
वो तड़पते रहे मयार में मेरे ऐसे ।
जैसे उसकी गली से मेरा जनाज़ निकला ।
और जिसको चाहा मैंने इश्क़ से बढ़कर हमदम ।
वो बेवफा मेरे खून का प्यासा निकला ।।
Phool gufran