Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Mar 2019 · 3 min read

वो जो मेरठ दो सौ घर जल गए पता तो करो लाख के थे क्या ?

कई साल हुए इस बात को पर भूल नही पाती। एक बार कापड़ा धोने के दरमियान कपड़े के साथ सै का नोट भी धुल गया था मुझ से,जिसे इस्त्री (प्रेस) से सुखाने में अपनी ही असावधानी के कारण जला बैठी, जिसका दुख कितना होगा आप इस से आसानी से समझ सकते हैं की वो जला हुआ नोट आज भी मेरे किताब के किसी पन्ने में दुबका हुआ बैठा है। वैसे ही एक बार कुछ महीने के लिए मायके गई तो पीछे से मेरे किताबों में दीमक लग गया। आने पर बड़ी मस्कत से रोते हुए जैसे-तैसे किताबों को दीमक के चंगुल से निकालने में कामयाब तो हुई पर किताबों की हालत का आप खुद अंदाजा लगाएं। पढ़ने लायक़ तो रहा नहीं उसकी जगह उसी की दूसरी प्रति ने ले ली,परन्तु उसे फेक नहीं पाई आज तक उसी अवस्था में मेरे पास महफूज़ है। आप सोच रहे होंगे पागल हो गई है क्या ? हाँ हो गई हूँ पागल। जब अपने चीजों को नस्ट होते देख, जो अपनी ही गलतियों का नतीजा हो,उस से इतनी दुखी हो सकती हूँ तो उन दो सै घरों कों धूं-धूं जलता देख पागल कैसे न होऊं ?
मेरठ के भूसा मंडी हाउस में 6 मार्च को एक भवन निर्माण पर मकान मालिक और प्रशासन के बीच हुए झड़प की ताप बस्ती के लगभग 200 घरों को लपेट ले गई। बताया जाता है कि प्रसासन ने ही आग जनि की सभी के सभी मुस्लिम लोगों का घर था। आप लोग खुद सोचें, ‘घर’ जिस में लोग अपनी जिंदगी की जमा पूजीं के साथ अपने सपने,अरमान और न जाने क्या-क्या लगा देते हैं। उसे कुछ लोग बस अपनी अना के संतुष्टि के लिए आग में झोक देते हैं। किस तरह की हैवानियत है ये ?
क्या इस देश में कानून व्वस्था की बातें किताबों के पन्नों की शोभा बनने मात्र के लिए है, लोगों के जीवन में इसका कोई उपयोग नहीं ?
या मुस्लिम होना ही काफ़ी है शोषितों कि लाईन में खड़े होने के लिए। अजीब दोगलापंथी है।
अभी कुछ दिनों पहले ही मैं ने up के अख़बारों के पहला और दूसरा पन्ना योगी जी महराज के गुणगान से भरा पाया था। जिस का हेड लाईन ही इतना शानदार कि पूछिए ही मत ‘नये भारत का नया उत्तर प्रदेश’ जिसे पढ़ कर एक बार को तो ऐसा लगता है कि हिंदुस्तान का सबसे ख़ुशहाल प्रदेशों में up सबसे अग्रगण्य है। क्या हिन्दू क्या मुसलमान क्या बहुजन सभी राम राज्य में जी रहें हैं। सभी को वो सब मुहैया करा दिया गया है, तत्कालीन सरकार से जिस कि इक्षा और ज़रूरत हर इंसान को होती है। पर दीखता क्यों नहीं ?
दीखता तो बस इतना है कि ऐसे लोगों के हाँथ में सरकार है जिन्हें सबसे ज़्यादा खुन्नस अल्पसंख्यकों से ही है। हर हाल में उनकी रीढ़ की हड्डी तोड़ी जाय,डंडे पे उनकी इंसानी हक़ूक़ को टांग दिया जाय।लानत भेजती हूँ ऐसे लोगों पर जो वो कर रहे हैं जिसे अंगेजो ने शुरू तो किया पर अधूरा रह गया अब उस ‘अंग्रेजों’ से मांफी मांगने वाले लोग हमारी एकता की कमर तोड़ने में लगे हैं। बेशर्म और निरंकुश सरकार।
एक बार धर्म का चश्मा हटा कर इंसानों जैसे सोच कर देखिए, वे लोग जिनके घरों को दिन दहाड़े भट्ठी में तब्दील कर दिया गया,उन घरों में बच्चे,औरतें,बेटियाँ,बुज़ुर्ग माँ-बाप कौन नहीं होगा सब के सब किस तरह अपनी जान बचाने कि कोशिस में अपने सपनों के सुंदर आशियाने को जलता हुआ छोड़ कर भागे होंगे।कि कैसे एक दूसरे को ढूंढने की कोशिश में हताशा में इधर -उधर भागते हुए अपनी जान और अपनों की जान कि सलामती की दुआ कर रहे होंगे। कुछ सोच नहीं पा रही कि किस अज़ाब का सामना किया होगा उन लोगों ने।
मुझे जैसी जानकारी मिली है उस से ये भी पता चलता है एक घर में एक बिकलांग लड़की भी बंद थी,उसे जैसे-तैसे बचाया गया। कितनी ही ऐसी औरतें थीं, जिन्होंने रुपया-रुपया जोड़ कर अपनी बेटियों का दहेज़ इकठा की थी सभी के सपने अग्नि देव को भोग में चढ़ा दिए गए।
हाय जब से ये खबर सुनी है मेरी रातों की नींद दिन का चैन सब कहीं खो गया है। इतनी बेचैनी की शब्दों में बयान नहीं कर सकती।
***
…सिद्धार्थ …

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 1 Comment · 243 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जन्म जला सा हूँ शायद...!
जन्म जला सा हूँ शायद...!
पंकज परिंदा
ज़िम्मेवारी
ज़िम्मेवारी
Shashi Mahajan
वो ख्वाबों में आकर गमज़दा कर रहे हैं।
वो ख्वाबों में आकर गमज़दा कर रहे हैं।
Phool gufran
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
तेरी याद
तेरी याद
Shyam Sundar Subramanian
लफ्ज़ भूल जाते हैं.....
लफ्ज़ भूल जाते हैं.....
हिमांशु Kulshrestha
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
शिव प्रताप लोधी
धर्म-कर्म (भजन)
धर्म-कर्म (भजन)
Sandeep Pande
किसी ने पूछा इस दुनिया में आपका अपना कौन है मैंने हंसकर कहा
किसी ने पूछा इस दुनिया में आपका अपना कौन है मैंने हंसकर कहा
Ranjeet kumar patre
कौन कितने पानी में है? इस पर समय देने के बजाय मैं क्या कर रह
कौन कितने पानी में है? इस पर समय देने के बजाय मैं क्या कर रह
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नजरे मिली धड़कता दिल
नजरे मिली धड़कता दिल
Khaimsingh Saini
"अजीब दस्तूर"
Dr. Kishan tandon kranti
तिरा चेहरा भी रुखसत हो रहा है जहन से,
तिरा चेहरा भी रुखसत हो रहा है जहन से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
यादों की महफिल सजी, दर्द हुए गुलजार ।
sushil sarna
व्यंग्य क्षणिकाएं
व्यंग्य क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
आप कौन है, आप शरीर है या शरीर में जो बैठा है वो
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अब गुज़ारा नहीं
अब गुज़ारा नहीं
Dr fauzia Naseem shad
मर्यादित आचरण व बड़ों का सम्मान सही है,
मर्यादित आचरण व बड़ों का सम्मान सही है,
Ajit Kumar "Karn"
🙅ख़ुद सोचो🙅
🙅ख़ुद सोचो🙅
*प्रणय*
सफलता तीन चीजे मांगती है :
सफलता तीन चीजे मांगती है :
GOVIND UIKEY
जो कि मैं आज लिख रहा हूँ
जो कि मैं आज लिख रहा हूँ
gurudeenverma198
लक्ष्य
लक्ष्य
Sanjay ' शून्य'
मेरा हाथ
मेरा हाथ
Dr.Priya Soni Khare
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
नवल किशोर सिंह
सरकारी जमाई -व्यंग कविता
सरकारी जमाई -व्यंग कविता
Dr Mukesh 'Aseemit'
*माला फूलों की मधुर, फूलों का श्रंगार (कुंडलिया)*
*माला फूलों की मधुर, फूलों का श्रंगार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आप हमको पढ़ें, हम पढ़ें आपको
आप हमको पढ़ें, हम पढ़ें आपको
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
Loading...