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25 Jun 2024 · 1 min read

वो जो मुझको रुलाए बैठा है

ग़ज़ल

वो जो मुझको रुलाए बैठा है
दिल भी उसपे ही आए बैठा है

मेरी जाँ तक निकलने को आई
और वो मुस्कुराए बैठा है

जिसको हमराज़ समझा था मैंने
वो ही सबको बताए बैठा है

दर्द किसको बयाँ करूँ अपना
शख्स जब हर सताए बैठा है

घर मेरा जल रहा तो जलने दो
कोई अपना जलाये बैठा है

काजू निषाद
8451967872
राजधानी गोरखपुर उत्तरप्रदेश

Language: Hindi
61 Views

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