वो जो बातें अधूरी सुनाई देती हैं,
वो जो बातें अधूरी सुनाई देती हैं,
तसल्लियों में खोई हर आशा दिखाई देती है।
जो इम्तिहान है वक्त का, उसे कोई कैसे भूले,
हर मोड़ पर जिंदगी की साजिश दिखाई देती है।
फिर भी चैन से बैठे हैं लोग यहां,
उम्मीदों की नाज़ुक बुनियाद कायम दिखाई देती है।
हर गली हर रास्ते पर कोई सवाल बाकी है,
इस मुल्क की तस्वीर में धुंधली सी बेबसी दिखाई देती है।
भूल जाना यहां सबका दस्तूर है यारो,
क्योंकि ये आदतों में हमारी पुरानी दिखाई देती है।