वो चेहरा जो रोज़ ख्वाबों में आता है
खामोशी और सन्नाटा नज़र आता है
जो रस्ता इस दिल से उस दिल को जाता है
जाने कौन है और क्या लगता है मेरा
वो चेहरा जो रोज ख्वाबों में आता है
वो ख्यालों में इस कदर रहता है आजकल
साँस संग जाता है साँस संग आता है
तन्हाई में अक्सर वो मुझ से मिलता है
मेरा हाल पूछ कर खुद का बतलाता है
घर का हर आईना रकीब सा लगता है
इनमें देखो कोई और नज़र आता है
ये इश्क भी अज़ीब सा अहसास है ‘सागर’
जो जिस से करता है वो उसी से छुपाता है
सागर