वो चुप हैं..
उनके पास क्षमता है
वो चुप हैं..
वो ला सकते हैं परिवर्तन..
पर!
वो बंद किये हैं..
अपनी ऑंखें.. ज़ुबान और मन!
जो चीख रहे हैं, वो असहाय हैं..
पर..हिम्मत के साथ डटे हैं!
और इन्हीं दो वर्गों के साथ..
घिसट रहा है समाज!
कुछ बहरे सच..
बाहर नहीं आ पा रहे हैं..
कुछ गूॅंगे झूठ..
जी भर कर खिलखिला रहे हैं!
स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ