वो चलेगा साथ मेरे मानता अब कौन है ।
वो चलेगा साथ मेरे मानता अब कौन है ।
जिंदगी को आज आखिर जानता अब कौन है ।।
इश्क की महफ़िल सभी अब देख लो वीरान हैं ।
आँसुओं के साथ चादर तानता अब कौन है ।।
घूमने निकले गुनाहों के मसीहा देख लो ।
आज उनसे रार देखो ठानता अब कौन है ।।
थी कभी उम्मीद जिनसे वो उलझते जुल्फ में ।
इश्क की गागर का पानी छानता अब कौन है ।
आज अर्णव से जगी उम्मीद है फिर देखिए ।
हो गया गीला तो आटा सानता अब कौन है ।।
डॉ अरुण कुमार श्रीवास्तव अर्णव