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19 Sep 2018 · 1 min read

वो चलेगा साथ मेरे मानता अब कौन है ।

वो चलेगा साथ मेरे मानता अब कौन है ।
जिंदगी को आज आखिर जानता अब कौन है ।।

इश्क की महफ़िल सभी अब देख लो वीरान हैं ।
आँसुओं के साथ चादर तानता अब कौन है ।।

घूमने निकले गुनाहों के मसीहा देख लो ।
आज उनसे रार देखो ठानता अब कौन है ।।

थी कभी उम्मीद जिनसे वो उलझते जुल्फ में ।
इश्क की गागर का पानी छानता अब कौन है ।

आज अर्णव से जगी उम्मीद है फिर देखिए ।
हो गया गीला तो आटा सानता अब कौन है ।।

डॉ अरुण कुमार श्रीवास्तव अर्णव

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