“वो चमन के फूल क्यों मुरझाने लगे हैं”
वो चमन के फूल क्यों मुरझाने लगे हैं।
वक्त से पहले टूटकर बिखर जाने लगे है।
क्या खता? जो मान लें हम बात उनकी।
उठकर नजरों से, फिर गिर जाने लगे है।
कांटों के भी हसरत,कुछ देर जिलें हंसकर।
बात कुछ भी हो हलक तक आने लगे हैं।
पत्थरों को पूजते, जिसे देवता समझ कर।
खोते ही ऐतबार फिर लड़खड़ाने लगे हैं।
युगराज तेरी आंखों में ये अश्क है या पसीना।
छोड़कर गांव अब दूर कही घर बसाने लगे है।
तेरे दिल के आसियाने का मैं तलबगार हूं।
आंख हमीं से देखो अब क्यों चुराने लगे।।