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27 Jun 2024 · 1 min read

वो गुलशन सा बस बिखरता चला गया,

वो गुलशन सा बस बिखरता चला गया,
बस वो गुलाब सा महकता चला गया,
चांद भी जल उठा देख उसकी सीरत,
सादगी से बज़्म रौशन करता चला गया,
उसने जब भी लूटी है भरी महफ़िलें,
लाखों दिलों में जगह बनाता चला गया,

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

1 Like · 18 Views
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